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न जाने इस जग में नित्य दिन
हो रहा हरपल क्या गायब
नदियाँ गायब नीर गायब
पानी से है मीन गायब
पर्वत गायब झाड़ना गायब
जंगल से है सिंह गायब
गुरु शिष्य बिच अनुशासन गायब
जन-आपूर्ति से राशन गायब
जन-कल्याण का भाषण गायब
पिता-पुत्र बिच शासन गायब
पृथ्वी-सूरज बिच ओजेन गायब
सूर्य किरण से उर्वरता गायब
शशी से शीतलता गायब
तारो की चमकता गायब
धर्म गायब ईमान गायब
सत्य की पहचान गायब
मानव की मानवता गायब
सारे जहाँ से नैतिकता गायब
धोती गायब कुर्ता गायब
साडी और दुपट्टा गायब
मात्री-शिशु बिच प्रेम गायब
पति-पत्नी से विश्वास गायब
दफ्तर से है बाबू गायब
टेवल से है फाईल गायब
जनहित का नेता गायब
बॉलीवुड से अभिनेता गायब
लोकतंत्र की परिभाषा गायब
हिंदुस्तान से भाषा गायब
नक्कली की होड़ में असली गायब
रसोई घर से तसल्ली गायब
मंदिर से है मूर्ति गायब
आदमी का आज फुर्ती गायब
कर रहा है मानव नित्य दिन
निज-स्वार्थ बस हर चीज गायब
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